नमस्कार दोस्तों स्वागत है आप सभी का एक और नई पोस्ट में जिसमें हम बात करेंगे कि Trading और Investing में क्या अंतर है Investing और Trading में व्यक्ति का दिमाग लगाना बहुत ही अलग होता है इन्वेस्टर का प्लान अपने पैसे को इन्वेस्ट करके धीरे-धीरे लंबे समय तक लाभ कमाना होता है
वही इन्वेस्टर अपना ज्यादातर रुपया कंपनियों के शेयर और म्यूच्यूअल फंड्स बांड और अन्य जगह पर अपना ज्यादातर पैसा निवेश करता है इन्वेस्टर को अपना इन्वेस्ट किया गया रुपया को बार-बार नहीं देखना होता और इन्वेस्टर अपने कमाए गए लाभ को फिर से इन्वेस्ट करके कंपाउंडिंग के जरिए अपना पोर्टफोलियो को बढ़ाते रहते हैं
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Trading और Investing
दोस्तों अगर वही हम ट्रेडिंग की बात करें तो क्योंकि ट्रेडिंग को रोजाना किया जाता है इसीलिए इसके लिए बहुत अच्छा खासा एक्सपीरियंस चाहिए होता है ट्रेडर को टेक्निकल एनालिसिस चाहिए होती है ट्रेडर का काम होता है कम समय में अधिक से अधिक प्रॉफिट कमाना और उसे अपने रुपए को बढ़ाना
कम समय में जो मार्केट में तेजी या मंदी आती है उसका फायदा लेकर अपना प्रॉफिट कमाना जहां इन्वेस्टर को साल का 10 से 20 परसेंट का रिटर्न मिलता है वही जो आज के समय में सक्सेसफुल ट्रेडर्स है वह महीने में 5 से 10 परसेंट का रिटर्न कमा लेते हैं
आइए ट्रेडिंग और इन्वेस्टिंग को कुछ पॉइंट के जरिए समझते हैं जिनसे आप को समझने में बहुत ही आसानी होगी कि आखिर इन दोनों में क्या अंतर है

Time Period
Trading – ट्रेडिंग एक ऐसा तरीका है जिसमें स्टॉक को कम समय के लिए रखा जाता है यह टाइम समय 1 दिन या 1 सप्ताह भी हो सकता है लेकिन ज्यादातर यह 1 दिन ही होता है ज्यादा ट्रेडर्स स्टाफ को कम समय में ज्यादा प्रॉफिट के लिए ओल्ड करते हैं
Investing – वहीं दूसरी तरफ इन्वेस्टिंग एक ऐसा तरीका है जोकि शेयर को खरीदने और उसे लंबे समय तक होल्ड करने पर काम करता है इन्वेस्टर अपने पैसे को सालों साल तक इन्वेस्ट करते हैं और ज्यादातर 10 साल से भी लंबे समय तक अपने पैसे को इन्वेस्ट करते हैं यह निर्भर करता है कि उनका गोल या अचीवमेंट कितना बड़ा है
Wealth Creation
Trading – ट्रेडिंग मेथड में ट्रेडर्स सिर्फ मार्केट में स्टॉक के प्राइस पर नजर रखते हैं अगर प्राइस बढ़ता है तो वह तुरंत शेयर को बेच देते हैं
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Investing – वही इन्वेस्टर बड़ी बड़ी कंपनी और शानदार कंपनी टेक्निकल एनालिसिस के तौर पर शेयर को खरीद ता है और उसे लंबे समय तक होल्ड करता है ताकि उससे अच्छा खासा प्रॉफिट कमा सकें
Risk Factor
शेयर मार्केट और फाइनेंसियल चीज में हमेशा रिस्क रहता है यह आप पर निर्भर करता है कि आपका अचीवमेंट क्या है और आप उस रिस्क को वह कैसे मैनेज करते हैं
Trading – ट्रेडिंग में भी रिस्क का बना हुआ रहता है और इसमें इन्वेस्टिंग से ज्यादा रिस्क रहता है क्योंकि ट्रेडिंग हमें कम समय में अच्छा खासा प्रॉफिट देता है
Investing – वही इन्वेस्टिंग में ट्रेडिंग के मुकाबले कम रिस्क रहता है और कम समय में कम रिटर्न मिलते हैं लेकिन इन्वेस्टिंग में डिविडेंड और कंपाउंडिंग इंटरेस्ट के तौर पर अच्छा खासा रिटर्न मिलने के चांस रहते हैं अगर स्टॉक्स को लंबे समय तक होल्ड किया जाए तो
Skill vs Art
Trading – ट्रेडिंग में ट्रेडर्स टेक्निकल और एनालाइजर्स को फॉलो करते हुए मार्केट को सही टाइम में करने की कोशिश करते हैं कम समय में ज्यादा प्रॉफिट कमाने के लिए
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Investing – वहीं दूसरी तरफ निवेस्टर जो कंपनी में अपना पैसा इन्वेस्ट करना चाहते हैं उनके बिजनेस फंडामेंटल और कंपनी के परफॉर्मेंस को पढ़ते हैं और स्टाफ को एनालाइज करते हैं और लंबे समय तक अपने पैसे को इन्वेस्ट करते हैं
Time Commitment
Trading – ट्रेडिंग के लिए आपको कम से कम 1 दिन में 3 से 4 घंटे का समय देना होता है क्योंकि जब मार्केट चालू होता है तब मार्केट ज्यादा एक्टिव होता है और मार्केट खोलें के समय और मार्केट बंद होने के समय कुछ ज्यादा ही एक्टिव रहता है जिसमें ट्रेडर्स को मौकों को ढूंढना होता है इसलिए ट्रेडिंग लंबा समय लेती है
Investing – वहीं दूसरी तरफ इन्वेस्टिंग बहुत ही लचीली होती है क्योंकि इन्वेस्टर का ज्यादातर टाइम कंपनी का फंडामेंटल एनालिसिस करने में लग जाता है वही आपको अपना गोल बनाने के लिए आपको अपने मनपसंद शेयर को ढूंढना होता है वही आपको इन्वेस्टिंग करने के लिए सप्ताह या महीनों में कुछ दिन देने होते हैं